मुसाफ़िर
सफ़रनामा
Friday, December 19, 2025
कहानी
इक कहानी सुनाना चाहता हूँ,
अपनी ज़ुबानी सुनाना चाहता हूँ,
इक क़िस्सा पुराना याद आ गया,
वह गुज़रा ज़माना याद आ गया,
किसी के दर्द में अपने दर्द जाग उठे,
किसी के दर्द में अपना फ़साना याद आ गया।
©® दिवाकर 'मुसाफ़िर' गर्ग
1 comment:
NKGARG
December 20, 2025 at 8:34 AM
Beautiful Poetry 💓💓
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