Saturday, September 27, 2025

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर हूँ, चलता हूँ, मंजिल की तलाश में,

मुसाफ़िर हूँ, भटकता हूँ, रुकता हूँ, सँभलता हूँ,

नए हौंसले रोज़ मुझे आगे बढ़ाते हैं, हर वक्त एक एहसास दिलाते हैं,

मुसाफ़िर हूँ, चलता हूँ, गिरता हूँ, थमता हूँ,

मुसाफ़िर हूँ अपनी मंज़िल में ख़ुद को ही पाता हूँ |

©® दिवाकर 'मुसाफ़िर' गर्ग 

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